मूल कार्यों से संबंधित अभिलेख के लिए अभिलेख प्रतिधारण अनुसूची :

अभिलेख सृजक एजेंसी (आरसीए) के मूल कार्यों से संबंधित अभिलेख में उन कार्यों से संबंधित अभिलेख शामिल हो तो जो उस विशिष्टए एजेंसी के लिए विशिष्टं (विशेष) होते हैं। इसलिए, प्रत्ये क आरसीए के मूल कार्यों से संबंधित अभिलेख के लिए प्रतिधारण अनुसूची को इसके द्वारा सृजित अभिलेख के अनुसार होना होगा।
लोक अभिलेख अधिनियम, 1993 (1993 का 69) धारा 6 की उपधारा (1) के खण्ड (ड.) तथा कार्यालय पद्धति के केन्द्रीीय सचिवालय के मैनुअल (पैरा 111(1) (घ) में विनिर्दिष्टत है कि प्रत्ये क आरसीए इसके मूल कार्यों से संबंधित अभिलेख के लिए प्रतिधारण अनुसूची संयोजित करेगा जिसको लागू किए जाने से पूर्व राष्ट्री य अभिलेखागार (एनएआई) द्वारा जांचा जाएगा।
मूल कार्यों से अभिलेख के लिए प्रतिधारण अनुसूची तैयार करने के लिए आरसीए द्वारा उठाए जाने वाले कदम
1. संगठन की संरचना तथा कार्यों का अध्यययन:
इसमें संगठन की पदसोपान की स्थिति, इसको संगठनात्मनक बनावट, लक्ष्यों तथा उद्देश्योंष, इसके कार्यदायित्वोंप तथा कार्यों आदि का अध्यगयन सम्मिलित होगा।
2. विभिन्न् प्रभागों/शाखाओं/अनुभागों/इकाइयों/प्रकोष्ठोंा आदि के बीच कार्य वितरण का अध्यरयन :
इस कवायद से उस संगठन के मूल कार्यों से संबंधित कार्य जिन प्रभागों/शाखाओं/ अनुभागों/इकाइयों/प्रकोष्ठोंे आदि को सौंपा जाएगा उनका चयन करने में मदद मिलेगी।
3. प्रचलित तथा अर्ध-प्रचलित अभिलेख-मालाओं तथा अभिलेख समूहों का अध्य यन :
इस कवायद का लक्ष्यि आरसीए द्वारा उत्पा दित मूल कार्यों से संबंधित अभिलेख मालाओं/अभिलेख समूहों की पहचान करना है। इसमें उस आरसीए में सृजित किए जा रहे अभिलेख के विभिन्नभ विषय-शीर्षकों तथा उनके उप शीर्षकों को पता करने की दृष्टि से फाइल रजिस्टिरों, फाइलिंग मैनुअलों तथा प्रचलित और अर्ध-प्रचलित फाइलों की प्रत्य/क्ष जांच शामिल रहेगी।
4. विषय शीर्षकों (उप-शीर्षकों सहित) तथा अभिलेख समूहों का सूचीकरण :
इस कवायद में उनके उप-शीर्षकों सहित विभिन्नग विषय-शीर्षकों तथा अभिलेख-समूहों सूचीकरण सम्मिलित है जिनके अंतर्गत प्रभाग/शाखा/अनुभाग/इकाई/प्रयोग आदि के द्वारा अभिलेख सृजित किए जा रहे हैं। सूचीकरण प्रधानत: प्रभाग/शाखा/अनुभाग/इकाई/प्रकोष्ठख आदि के नाम के अन्तिर्गत किया जाना चाहिए।
5. प्रतिधारण अवधि का निर्धारण :
विषय-शीर्षकों तथा उनके उप-शीर्षकों/अभिलेख समूहों को सूचीबद्ध किए जाने के बाद, उनकी प्रतिधारण अवधियों को उनके संदर्भ मूल्यन तथा विषय के महत्वस के अनुसरण में निर्धारित किया जाता है। प्रतिधारण अवधि वह अवधि होती है, जिसके लिए एजेंसी विशेष को अभिलेखों के अंतिम निपटान से पूर्व उन्हें रखना पड़ता है।
प्रतिधारण अवधि को निर्धारित करने के उद्देश्ये से अभिलेख को तीन श्रेणियों यथा 'क' 'ख' और 'ग' में वर्गीकृत किया जाता है। 'क', 'ख' तथा 'ग' श्रेणियों में श्रेणीकृत किए जाने के उपयुक्त अभिलेखों की एक उदाहरणात्माक सूची अनुलग्नदक-I में दी गई है।
'क' श्रेणी : इस श्रेणी के अंतर्गत आने वाले अभिलेख को स्था यी रूप से परिरक्षित किया जाना होता है तथा माइक्रोफिल्मे तैयार की जानी होती है क्योंआकि इनमें :
- इतना अधिक मूल्यंवान दस्ताावेज होता है कि इसके मूल को सुरक्षित रखना आवश्य क होता है तथा इसके मूल रूप तक पहुंच को लगभग ना के बराबर सीमित करने की आवश्य कता होती है।
- ऐसी सामग्री होती है जिसकी विभिन्ने पक्षकरों द्वारा अकसर संदर्भ हेतु देखे जाने की अपेक्षा होती है।
'ख' श्रेणी : इस श्रेणी के अंतर्गत आने वाले अभिलेख को भी स्थातयी रूप से परिरक्षित किया जाना होता है, परन्तुै इनकी माइक्रोफिल्मर नहीं बनानी होती।
'ग' श्रेणी : इस श्रेणी के अंतर्गत आने वाले अभिलेख को सीमित अवधि से रखना होता है, 10 वर्ष से अधिक नहीं।
ध्यान दें 'ग' श्रेणी की फाइलों के लिए प्रतिधारण अवधि निर्धारित करते समय, स्लै ब ग-1, ग-3, ग-5 तथा ग-10 का अनुसरण किया जाए, जिसमें संख्यांधक वर्षों की संख्या को दर्शाता है कि कोई फाइल बंद होने या अभिलेखित किए जाने के बाद कितने वर्षों तक प्रतिधारित की जाती है।
6. प्रारूप अभिलेख प्रतिधारण अनुसूची को तैयार करना :
इस प्रकार, एक प्रारूप अभिलेख प्रतिधारण अनुसूची को तैयार किया जा सकता है। प्रारूप अभिलेख प्रतिधारण अनुसूची के लिए एक प्रोफार्मा अनुलग्नयक - II पर संलग्नख है।
प्रारूप अभिलेख प्रतिधारण अनुसूची को संकलित करते समय, विभिन्नो प्रभागों/शाखाओं/ अनुभागों/इकाइयों/प्रकोष्ठोंल आदि के तहत समान अभिलेख-मालाओं के विषय-शीर्षकों और प्रतिधारण अवधियों की जांच नामावली के मानकीकरण तथा प्रतिधारण की अवधि को सुनिश्चित करने की दृष्टि से की जाए।
7. जांचने हेतु प्रारूप अभिलेख प्रतिधारण अनुसूची को राष्ट्री य अभिलेखागार में अग्रेषित करना
आरसीए द्वारा इस प्रकार संकलित प्रारूप-अभिलेख-प्रतिधारण-अनुसूची को आरसीए द्वारा लागू किए जाने से पूर्व इसकी जांच हेतु राष्ट्रीरय अभिलेखागार में अग्रेषित किया जाना चाहिए।
राष्ट्रीसय अभिलेखागार द्वारा अभिलेख प्रतिधारण अनुसूची की जांच करना
आरसीए से प्रारूप अभिलेख प्रतिधारण अनुसूची प्राप्तख करने के बाद, राष्ट्री य अभिलेखागार :
- आरसीए के मूल कार्यों से संबंधित अभिलेख का तत्कारल अध्यदयन करने के लिए अपने अधिकारी (अधिकारियों) को प्रतिनियुक्ता करेगा;
- प्रारूप अभिलेख प्रतिधारण अनुसूची की जांच करते समय अधिकारी फाइल रजिस्टथरों, प्रचलित तथा अर्ध-प्रचलित फाइलों का अवलोकन संगठन के इतिहास का अध्यजयन तथा प्रतिधारण अवधि को निर्धारित करने हेतु संबंधित अनुभाग/प्रभाग के प्रमुख के साथ मामले पर चर्चा करेगा/करेंगे, तथा
- संबंधित आरसीए को अध्यगयन रिपोर्ट सहित जांची गई प्रारूप अभिलेख प्रतिधारण अनुसूची को लागू करने के लिए अग्रेषित करेगा।
मूल कार्यों से संबंधित अभिलेख प्रतिधारण अनुसूची में संशोधन केन्द्रीहय सचिवालय के कार्यालय पद्धति के मैनुअल में अनुबंध है कि मूल कार्यों से संबंधित अभिलेख प्रतिधारण अनुसूची की कम से कम पांच वर्ष में एक बार पुनरीक्षा की जानी चाहिए। संशोधन का उद्देश्य आरसीए की विस्तृेत होती गतिविधियों के साथ-साथ विषयों का पुनर्आबंटन तथा समय-समय पर होने वाले अन्ये संगठनात्मबक बदलावों को समावेशित करना होता है।
अभिलेख प्रतिधारण अनुसूची में संशोधन करते समय ऊपर अनुबंधित 1 से 7 तक के चरणों का अनुसरण किया जाएगा।