लोक अभिलेख नियम, 1997

भारत के राजपत्र भाग-2 खंड 3  
उप खंड (i) में प्रकाशित, नई दिल्ली जनवरी 18,1997  
(संस्कृति विभाग)  
नई दिल्ली, 9 जनवरी, 1997

सा.का.नि. 43:- केन्द्रीय सरकार लोक अभिलेख अधिनियम, 1993 (1993 का 69) की धारा 17 की उपधारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए निम्नलिखित नियम बनाती है अर्थात:-

संक्षिप्त नाम और प्रारंभ -

  • इन नियमों का संक्षिप्त नाम लोक अभिलेख नियम 1997 है ।
  • ये राजपत्र में प्रकाशन की तारीख का प्रवृत्त होंगे ।

परिभाषाएं: इन नियमों में जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो :-

  • "अधिनियम" से लोक अभिलेख अधिनियम 1993 ( 1993 का 69 ) अभिप्रेत है;
  • अंकन" से यथास्थिति भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार या संघ राज्य क्षेत्र के अभिलेखागार के सहयोजन से लोक अभिलेखों का मूल्यांकन अभिप्रेत है;
  • "वर्गीकृत अभिलेख " से गृह मंत्रालय द्वारा समय-समय पर परिचालित विभागीय सुरक्षा अनुदेश निर्देशिका में अधिकथित प्रक्रिया के अनुसार अति गोपनीय, गुप्त गोपनीय और निर्वधित होने के रूप में वर्गीकृत लोक अभिलेखों से संबंधित फाइलें अभिप्रेत हैं ।
  • "अभिरक्षा" से लोक अभिलेख का कब्जा अभिप्रेत है;
  • "निष्क्रिय निकाय" से ऐसा नियम या निगमेन्तर निकाय अभिप्रेत है जिसे इसके कृत्यों का निर्वहन करने वाले उत्तराधिकारी के अभाव में बंद कर दिया गया है;
  • "वर्गीकृत अभिलेखों का अवश्रेणीकरण" से उनके मूल्यांकन के पश्चात सुरक्षा वर्गीकरणों का अवश्रेणीकरण करना अभिप्रेत है;
  • "फाइल" से किसी विनिर्दिष्ट विषय वस्तु संबंधी लोक अभिलेखों से संबंधित कागजों का संग्रह अभिप्रेत है जिसके अन्तर्गत उनके पत्र-व्यवहार टिप्पण और परिशिष्ट हैं तथा उन्हें फाइल संख्यांक दिया गया है;
  • " प्ररूप" से इन नियमों में से संलग्न प्रारूप अभिप्रेत है;
  • प्राइवेट अभिलेख" से ऐसे अभिलेख अभिप्रेत हैं जो प्राइवेट व्यक्ति के कब्जे में है या किसी गैर-सरकारी संगठन के पास हैं ;
  • अभिलेखन" से किसी फाइल के सभी मुद्दों पर विचार करके कार्रवाई पूरी होने के पश्चात उसे बंद करने का प्रक्रिया अभिप्रेत है;
  • स्थायी स्वरूप के अभिलेख " से ऐसे लोक अभिलेख अभिप्रेत हैं जिन्हें अभिलेख सृजक अभिकरण द्वारा इस विषय पर अपनी कार्यालय प्रक्रिया या अनुदेश निर्देशिका में अभिकथित प्रक्रिया के अनुसार नियम 5 के उपनियम (1) के अधीन विनिर्दिष्ट अवधि के लिए अभिलेखन के पश्चात रखा जाता है ;
  • " अभिलेखों को प्रतिधारण अनुसूची" से ऐसी अनुसूची अभिप्रेत है जिसमें प्रतिधारण की अवधि उपबंधित है;
  • "पुनर्विलोकन से अभिलिखित फाइलों का प्रतिधारण अवधि की समाप्ति पर यथास्थिति उनके और प्रतिधारण या उन्हें नष्ट करने के संबंध में अवधारण के लिए कालिक मूल्यांकन अभिप्रेत है;
  • "धारा" से अधिनियम की धारा अभिप्रेत है;
  • स्थायी गार्ड फाइल" से किसी विशिष्ट विषय वस्तु से संबंधित कागजों का संकलन अभिप्रेत है जिसके अंतर्गत नीतिगत विनिश्चयों, आदेशों, अनुदेशों या उस अनुषांगिक किसी अन्य विषय की कालानुक्रम में रखी गई प्रतियां हैं;
  • उन शब्दों और पदों के जो इसमें प्रयुक्त हैं और परिभाषित नहीं हैं किन्तु अधिनियम में परिभाषित हैं, वहीं अर्थ होंगे जो उस अधिनियम में हैं;
  • अभिलेख अधिकारी का नाम निर्देशन :- अभिलेख सृजक अभिकरण अधिनियम की धारा 5 की उपधारा (1) के उपबंधों के अनुसरण में कार्यालय आदेश जारी करके अपने अधिकारियों में से किसी एक को जो अनुभाग अधिकारी की पंक्ति या श्रेणी से नीचे का नहीं हो अभिलेख अधिकारी के रूप में नामनिर्देशित करेगा ऐसे कार्यालय आदेश की एक प्रति यथास्थिति महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान, को भेजी जाएगी ।
  • स्थायी गार्ड फाइल का अनुरक्षण :- अभिलेख अधिकारी स्थायी गार्ड फाइल के और यथास्थिति महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान द्वारा धारा 6 की उपधारा (2) के उपबंधों के अनुसरण में जारी किए गए निदेशों के उचित अभिलेख के अनुरक्षण और रखरखाव के लिए उत्तरदायी होगा और यथास्थिति महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान द्वारा जब भी अपेक्षा की जाए उसके निरीक्षण के लिए उसे प्रस्तुत करेगा ।
  • स्थायी स्वरूप के लोक अभिलेखों का प्रतिग्रहण:-
  • यथास्थिति महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान स्थायी स्वरूप के ऐसे लोक अभिलेखों को जमा करने और परिरक्षण के लिए प्रतिग्रह करेगा जिन्हें अभिलेख सृजक अभिकरण द्वारा पिछले पच्चीस वर्ष या उससे अधिक तक अपने अभिलेख कक्ष में अभिलेखा के पश्चात रखा गया है ।
  • अभिलेख अधिकारी यथास्थिति महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान को प्रत्येक वर्ष 31 जनवरी से पहले प्ररूप-1 में स्थायी स्वरूप के ऐसे सभी लोक अभिलेखों की विशिष्टियां सूचित करेगा जिनका उस वर्ष के दौरान अंकन किया जाना है ।
  • उपनियिम ( 2 ) के अधीन सूचना की प्राप्ति पर यथास्थिति, महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान, अपने अधिकारियों के माध्यम से लोक अभिलेखों का अंकन करने में अभिलेख अधिकारी की सहायता करेगा । अंकन पूरा हो जाने पर अभिलेख अधिकारी, सभी लोक अभिलेखों की एक अन्तरण सूची प्रारूप-2 में तीन प्रतियों में तैयार करेगा तथा उसे यथास्थिति, महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान के पास परिरक्षण के लिए जमा करेगा जो अन्तरण सूची की एक प्रति अपना समाधान हो जाने के पश्चात अभिलेख अधिकारी को पावती के रूप में वापस करेगा |
  • यदि अंकन के पश्चात अभिलेख अधिकारी स्थायी स्वरूप के किसी अभिलेख या फाइल को पच्चीस वर्षों की अवधि के आगे भी प्रतिधारित करने के लिए आवश्यक समझता है तो वह उन कारणों से जो लेखबद्ध किये जायेंगे, यथास्थिति, महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान को सूचित कर के ऐसा कर सकेगा |
  • लोक अभिलेखों की निकासी:- 
    1. यदि यथास्थिति, महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान के पास जमा किये गये और परिरक्षित लोक अभिलेख, अभिलेख सृजक अभिकरण द्वारा किसी शासकीय प्रयोजन के लिए अपेक्षित है तो अभिलेख अधिकारी, यथास्थिति, महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान को, प्रारूप 3 में, सम्यक रूप से हस्ताक्षरित और मुहर लगी हुई मांग पर्ची भेजेगा ।
    2. उप नियम (1) के अधीन मांगे गये लोक अभिलेख को प्रयोजन द्वारा पूरा हो जाने के पश्चात यथा शीघ्र लौटा दिया जायेगा किन्तु उन्हें अभिलेख अधिकारी या अभिलेख सृजक अभिकरण द्वारा छह मास की अवधि से अधिक प्रतिधारित नहीं किया जायेगा |
  • वर्गीकृत अभिलेखों का अवश्रेणीकरण - 
    1. अभिलेख सृजक अभिकरण कार्यालय आदेश द्वारा एक ऐसे अभिकारी को, जो भारत सरकार के अवर सचिव से नीचे की पंक्ति का न हो, उसके द्वारा रखे गये वर्गीकृत अभिलेखों का मूल्यांकन और अवश्रेणीकरण करने के लिए प्राधिकृत करेगा । ऐसे कार्यालय आदेश की एक प्रति यथास्थिति, महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान को अग्रेसित की जायेगी ।
    2. उपनियम (1) के अधीन इस प्रकार प्राधिकृत अधिकारी अवश्रेणीकरण के प्रयोजन के लिए प्रत्येक पांचवें वर्ष वर्गीकृत अभिलेखों का मूल्यांकन करेगा ।
    3. यदि अधिकारी अवश्रेणीकरण के पश्चात किसी अभिलेख को स्थायी स्वरूप का घोषित करता है तो यह इसके अंकन के पश्चात यथास्थिति, महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान के पास जमा और परिरक्षित किया जायेगा |
    4. इस नियम के अधीन जमा किये गये अभिलेख किसी शासकीय प्रयोजन के लिए मंगाया जा सकता है और नियम (6) में उपबंधित रीति से यथास्थिति, महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान को लौटाया जा सकता है ।
    5. उपनियम (1) के अधीन प्राधिकृत अधिकारी द्वारा प्रत्येक वर्ष के जून और दिसम्बर के अन्तिम सप्ताह में प्रारूप में वर्गीकृत अभिलेखों के मूल्यांकन और अवश्रेणीकरण की बाबत की गई कार्रवाई का एक अर्धवार्षिक विवरण यथास्थिति, महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान को भेजेगा ।
  • वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करना:-
    1. नियम 3 के अधीन नाम निदेशित अभिलेख अधिकारी आगामी वर्ष के मार्च मास में, प्रत्येक वर्ष वार्षिक रिपोर्ट, प्रारूप-5 में, यथास्थिति, महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान को भेजेगा |
    2. तत्पश्चात, यथास्थिति, महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान अधिनियम की धारा 6 की उपधारा (1) के खण्ड (क) से (ट) के उपबन्धों के अनुसरण में अभिलेख अधिकारी द्वारा की गई कार्रवाई से संबंधित रिपोर्ट प्रत्येक वर्ष सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय को प्रस्तुत करेगा ।
  • लोक अभिलेखों का नष्ट किया जाना :-
    1. कोई भी लोक अभिलेख, अभिलिखित और पुनर्विलोकित किये बिना नष्ट नहीं किया जायेगा। प्रत्येक वर्ष के जनवरी मास में, प्रत्येक अभिलेख सृजक अभिकरण अभिलेख प्रतिधारण अनुसूची को विचार में लेने के पश्चात उन सभी फाइलों को जिन पर कार्रवाई पूरी हो चुकी है, अभिलिखित करेगा । यह कार्य अभिलेख अधिकारी के परामर्श से पूरा किया जायेगा ।
    2. किसी अभिलेख सृजक अभिकरण द्वारा पच्चीस वर्ष से अधिक पुराना कोई भी लोक अभिलेख तब तक नष्ट नहीं किया जायेगा जब तक कि इसका अंकन न कर लिया गया हो ।
    3. अभिलेख सृजक अभिकरण द्वारा नष्ट किये जाने के लिए प्रस्तावित ऐसे सभी लोक अभिलेखों की एक सूची प्ररूप-6 में तैयार की जायेगी और यह भविष्य में निर्देश के लिए, स्थायी रूप से प्रतिधारित की जायेगी ।
    4. अभिलेख अधिकारी अभिलेखों को अभिलिखित करने, अनुक्रमणिका बनाने पुनर्विलोकन करने और उनकी छंटनी करने के संबंध में एक अर्ध वार्षिक रिपोर्ट प्ररूप-7 में, यथास्थिति, महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान को भेजेगा ।
    5. अभिलेखों को अभिलेख, अधिकारी की उपस्थिति में जलाकर या फाड़कर नष्ट किया जायेगा ।
  • प्राइवेट अभिलेखों तक पहुंच : -
    1. ऐसे अभिलेख जो प्राइवेट स्रोतों से दान या क्रय या अन्यथा रीति से अर्जित किये गये हों, दानकर्ता द्वारा अधिकथित शर्तों के अधीन सदभावी अनुसंधान के लिए उपलब्ध कराये जायेंगे ।
    2. अनुसंधानविद अभिलेखों के अध्ययन की अनुज्ञा के लिए प्ररूप-3 में, एक आवेदन यथास्थिति, महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान को प्रस्तुत करेगा । यथास्थिति, महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान लोकहित में और उन कारणों से जो लेखबद्ध किये जायेंगे, उक्त आवेदन के संबंध में अनुज्ञा से इंकार कर सकेगा ।
    3. जब कभी माइक्रोफिल्म रोल उपलब्ध कराए जाएं, मूल अभिलेखों को अनुसंधानविदों को अध्ययन के लिए प्रदाय नहीं किया जाएगा । कोई व्यक्ति किसी अभिलेख की कोई भी प्रति यथास्थिति, महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान की पूर्व अनुज्ञा के बिना तैयार नहीं करेगा ।
  • लोक अभिलेखों तक पहुंच:-
    1. ( 1 ) नियम 5 के उपनियम (1) के अधीन जमा और परिरक्षण के लिए प्रतिग्रहीत लोक अभिलेख धारा 12 की उपधारा (1) के उपबंधों और निम्नलिखित शर्तों के अधीन सदभावी अध्ययन और अनुसंधान प्रयोजनों के लिए उपलब्ध कराए जायेंगे, अर्थात:-
    2. कोई व्यक्ति, जो लोक अभिलेखों के अध्ययन का आशय रखता है। यथास्थिति, महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान को आवेदन प्ररूप-8 में करेगा । यथास्थिति, महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान लोक हित में और उन कारणों से, जो लेखबद्ध किए जाएंगे उक्त आवेदन के संबंध में ऐसी अनुज्ञा से इंकार कर सकेगा ।
    3. ऐसा विदेशी राष्ट्रीय जो लोक अभिलेखों के अध्ययन करने का आशय रखता है, अपनी प्रायोजित संस्था और राजनयिक मिशन से परिचय पत्र पस्तुत करने पर ही अनुज्ञात किया जा सकेगा ।
    4. अरूणाचल प्रदेश ( जिसके अन्तर्गत चीन-भारत सीमा का पूर्वी भाग), सिक्किम, भूटान, नेपाल, तिब्बत, चीन और म्यांमार विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय से संबंधित अभिलेख, नक्शे तथा मानचित्रकारी अभिलेख भारत या उसके राज्यक्षेत्र के किसी भाग की सुरक्षा और रक्षा को ध्यान में रखते हुए अध्ययन के लिए उपलब्ध कराए जा सकते हैं । जम्मू-कश्मीर (जिसके अन्तर्गत गिलगित और चितराल हैं) की बाबत विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय से संबंधित अभिलेख भी भारत या उस राज्यक्षेत्र के किसी भाग की सुरक्षा और रक्षा को ध्यान में रखते हुए, अध्ययन के लिए उसको ध्यान में रखते हुए, अध्ययन के लिए उपलब्ध कराए जा सकते हैं : परन्तु यथास्थिति, महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान से अध्ययन से इंकार कर सकेगा ।
    5. जहां भी माइक्रोफिल्म रोल उपलब्ध कराए जा सकते हैं, मूल रिकॉर्ड अनुसंधान विद्वान को परामर्श के लिए प्रदान नहीं किए जाएंगे।
    6. जहां कहीं माइक्रोफिल्म रोल उपलब्ध कराए जाएं, वहां अनुसंधानविद को अध्ययन के लिए मूल अभिलेख का प्रदाय नहीं किया जाएगा; प्ररूप-9 में आवेदन किए जाने पर प्रत्युत्पादन और प्रतिलिपि की सुविधाएं उपलब्ध करा दी जा सकेंगी और ऐसी सेवा प्रभागों का संदाय करना होगा जो यथास्थिति, महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान द्वारा समय-समय पर नियत किए जाए ।
    7. ऐसा व्यक्ति जो अनुसंधान के प्रयोजन के लिए लोक अभिलेखों का अध्ययन करता है और उक्त अभिलेखों से ली गई सामग्री पर आधारित किसी कृति को प्रकाशित करता है, उसकी अभिस्वीकृति करेगा ।
    8. ऐसा व्यक्ति जो लोक अभिलेखों के अध्ययन करने का आशय रखता है, निम्नलिखित कार्य नहीं करेगा, अर्थात:-
      1. लोक अभिलेखों पर लिखना और उनमें कोई चिन्ह या संकेत लगाना;
      2. लोक अभिलेखों को मोड़ना, फाड़ना, काटना, चुन्नट डालना या अन्यथा नुकसान पहुंचाना या विकृत करना;
      3. यथास्थिति, महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान से अनुज्ञा लिए बिना किसी लोक अभिलेख को हटाना;
      4. लोक अभिलेखों का अध्ययन करते समय किसी खाद्य वस्तु को खाने या पेय उत्पादों को पीने या धूम्रपान करने के लिए अनुज्ञात किया जाना;
      5. किसी लोक अभिलेखों की प्रति बनाने की दृष्टि से उक्त अभिलेखों पर कोई चीज या वस्तु रखना
      6. लोक अभिलेखों का अध्ययन करते समय किसी अन्य व्यक्ति का बाधा पहुंचाना या बिध्न डालना; और
      7. ऐसी रीती में व्यवहार करना जो, यथास्थिति, महानिदेशक या अभिलेखागार प्रधान की राय में, लोक अभिलेखों के अनुरक्षण और परिरक्षण के लिए हानिकर है ।
  • अभिलेखागार सलाहकार बोर्ड के सदस्यों को भत्ता भारत सरकार द्वारा नामित अभिलेखागार सलाहकार बोर्ड के सदस्य धारा-13 की उपधारा 2 के खंड (घ) के तहत अभिलेखागार सलाहकार बोर्ड की बैठक में भाग लेने के लिए केन्द्रीय सरकार के समूह "क" के अधिकारियों को देय दरों के अनुरूप यात्रा भत्ता एवं दैनिक भत्ता प्राप्त करने के हकदार होंगे ।

प्ररूप 1  
[ नियम 5 का उपनियम ( 2 ) देखिए ]

वर्ष के दौरान अंकन के लिए स्थायी स्वरूप के अभिलेखों की विशिष्टयां.....................

अभिलेख सृजक अभिकरणों के अभिलेख कक्ष में रखी प्रवर्ग 'क' और 'ख' श्रेणियों की फाइलों की कुल संख्या  
रिपोर्ट वाली अवधि के दौरान अनुभागों द्वारा अभिलेख कक्षों को अंतरित प्रवर्ग 'क' और 'ख' श्रेणियों की फाइलों की कुल संख्या  
स्तंभ 1 और स्तंभ 2 के अधीन निर्दिष्ट फाइलों की कुल संख्या  
अंकन हेतु देय फाइलों की कुल संख्या  
टिप्पणियां यदि कोई हों

1

2

3

4

5

   
   
   
   
 

   
   
   
   
 

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प्रपत्र-2  
[नियम 5 का उपनियम (3) देखें]  
अंतरण सूची

अभिलेख सृजन अभिकरण अर्थात मंत्रालय का नाम/  
विभाग/कार्यालय/सार्वजनिक उपक्रम आदि:  
अभिलेख अधिकारी का नाम एवं विवरण :  
शाखा/अनुभाग का नाम:  
वर्ष :

क्र.सं.  
फ़ाइल संख्या  
फ़ाइल की विषय वस्तु  
यदि कोई टिप्पणी हो

   
   
   
 

   
   
   
 

   
   
   
 

अभिलेख अधिकारी के हस्ताक्षर एवं मुहर .......................................

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प्रपत्र-3  
[नियम 6 का उपनियम (1) देखें]  
'माँग पर्ची'

रिकॉर्ड बनाने वाली एजेंसी का नाम (अर्थात् मंत्रालय/  
विभाग/कार्यालय):  
अभिलेख अधिकारी का नाम एवं विवरण :  
मांगे गए अभिलेखों या फ़ाइल संख्या का विवरण:  
जिस उद्देश्य के लिए आवश्यक है:

अभिलेख अधिकारी द्वारा वचन-पत्र --- मैं .................................................. ................................................... इसके द्वारा घोषणा करें कि नियम 6 के उप-नियम (2) के तहत अपेक्षित छह महीने की समाप्ति से पहले मांगे गए रिकॉर्ड/फ़ाइल महानिदेशक/अभिलेखागार के प्रमुख को वापस कर दी जाएगी।

तारीख  
अभिलेख अधिकारी के हस्ताक्षर एवं मुहर

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प्रपत्र-4  
[नियम 7 का उपनियम (5) देखें]  
(वर्गीकृत अभिलेखों की आवधिक समीक्षा पर अर्धवार्षिक विवरण)

संगठन में वर्तमान में पड़े वर्गीकृत अभिलेखों की कुल संख्या  
समीक्षा हेतु देय वर्गीकृत रिकार्डों की संख्या  
रिपोर्टाधीन अवधि के दौरान समीक्षा की गई और ग्रेड डाउन की गई फाइलों की संख्या  
टिप्पणियां

   
   
   
 

   
   
   
 

   
   
   
 

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प्ररूप 5  
अभिलेखागार के महानिदेशक / अभिलेखागार प्रधान को वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए  
[ नियम 8 का उपनियम (1) देखिए ]

1. A. क्या आपके संगठन ने कोई संगठित अभिलेख कक्ष स्थापित किया है और यदि हां तो क्या उसमें पर्याप्त स्थान है..

   
B. क्या आपके संगठन ने किसी अधिकारी को विभागीय अभिलेख अधिकारी के रूप में नामनिर्देशित किया है और यदि नहीं तो कारण बताएं?

   
C. अभिलेख अधिकारी और कर्मचारीवृन्द का प्रशिक्षण:

(i) क्या विभागीय अभिलेख अधिकारी ने अभिलेख प्रबंध में प्रशिक्षण प्राप्त किया है?

(ii) क्या विभागीय अभिलेख कक्ष में कार्यरत कनिष्ठ कर्म- चारीवृन्द अभिलेख प्रबंध के विभिन्न पहलुओं में प्रशिक्षित हैं?

(iii) यदि नहीं तो क्या आप भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार में विद्यमान प्रशिक्षण सुविधाओं का उपभोग करने के इच्छुक हैं?

D. राष्ट्रीय अभिलेखागार / संघ राज्य क्षेत्र के अभिलेखागार में अर्ध चालू अभिलेख रखने के लिए स्थान में हिस्सेदारी:

(i)

क्या आपका संगठन राष्ट्रीय अभिलेखागार, नई दिल्ली और जयपुर, पांडिचेरी और भुवनेश्वर स्थित अभिलेख केन्द्रों तथा भोपाल स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के स्थान में हिस्सेदारो के लिए इच्छुक है ?

(ii) यदि हां तो कृपया अन्तरित किए जाने वाले प्रस्तावित अभिलेखों की मात्रा बताएं

   
   
II (i) क्या आपका संगठन संघ राज्य क्षेत्र के अभिलेखागार के स्थान में हिस्सेदारी के लिए इच्छुक है ?

(ii) यदि हां तो कृपया अन्तरित किए जाने वाले प्रस्तावित अभिलेखों की मात्रा बताएं

2. अर्ध चालू अभिलेखों का कालिक अभिलेखन पुनर्विलोकन और छंटाई :

  (i) क्या आपके संगठन ने क्षणभंगुर / अभिलेखों के अभिलेखन पुनर्विलोकन तथा छंटाई के लिए कार्रवाई की है?

   
(ii) रिपोर्ट वाली अवधि के दौरान अभिलिखित पुनर्विलोकन तथा छंटाई किए गए अभिलेखों की कुल संख्या उपदर्शित करें :

3. गैर- चालू अभिलेखों का अंकन

   
(i) क्या आपके संगठन ने राष्ट्रीय अभिलेखागार से परामर्श करके गैर- चालू अभिलेखों के अंकन की कार्रवाई आरम्भ की है ?

   
(ii) अंकन के लिए प्रतीक्षित अभिलेखों को कुल मात्रा बताएं ?

4. अभिलेखों की प्रतिधारण अनुसूची का संकलन / पुनरीक्षण:

   
(i) क्या आपके संगठन ने राष्ट्रीय अभिलेखागार से परामर्श करके मूल कृत्यों की अभिलेख प्रतिधारण अनुसूची को संकलित किया है और यदि नहीं तो आप इसके लिए क्या कार्रवाई करने का प्रस्ताव करते हैं ?

   
(ii) क्या आपके संगठन ने पांच वर्ष पश्चात उक्त अनुसूची को पुनरीक्षण करने के लिए कार्रवाई की है ?

5. वर्गीकृत अभिलेखों का कालिक पुनर्विलोकन :

   
(i) क्या आपके संगठन ने रिपोर्ट वाली अवधि के दौरान अभिलेखों का अव वर्गीकरण किया है?

   
(ii) यदि नहीं तो कारण बताएं

6. अभिलेखों की वार्षिक अनुक्रमणिकाओं का संकलन:

   
(i) क्या आपके संगठन ने वार्षिक अनुक्रमणिकाओं का संकलन किया है?

   
(ii) आवतियों के नाम के साथ सम्मिलित वर्ष बताएं

7. संगठनात्मक इतिहास का संकलन:

   
क्या आपके संगठन ने ऐसे संगठनात्मक इतिहास को संकलित किया है जो उनके सृजन की तारीख के साथ विभिन्न कृत्यों पर प्रकाश डालता है और यदि हां, तो इसकी एक प्रति राष्ट्रीय अभिलेखागार को भेजें ।

8. निष्क्रिय निकायों के अभिलेख :

   
(i) क्या आपके संगठन के पास निष्क्रिय निकायों के अभिलेख हैं, ब्यौरे दीजिए ?

   
(ii) यदि हां, तो आपने उन्हें राष्ट्रीय अभिलेखागार को अन्तरित करने के लिए क्या कार्रवाई की है ?

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फॉर्म - 6  
[नियम 9 का उपनियम (3) देखें]

वर्ष के दौरान नष्ट किये गये अभिलेखों का विवरण................................................... ..................................

क्र.सं. 
फ़ाइल संख्या 
फाइलों की विषयवस्तु 
टिप्पणियां

   
   
   
 

   
   
   
 

   
   
   
 

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फॉर्म - 7  
[नियम 9 का उपनियम (4) देखें]

समाप्त होने वाले आधे वर्ष के दौरान अभिलेखों की रिकॉर्डिंग, अनुक्रमण, समीक्षा और निराई पर अर्धवार्षिक रिपोर्ट .......................

क्र.सं. 
दर्ज की गई फाइलों की कुल संख्या 
अनुक्रमित फ़ाइलों की कुल संख्या 
समीक्षा की गई फ़ाइलों की कुल संख्या 
हटाई गई फ़ाइलों की कुल संख्या, यदि कोई हो 
टिप्पणियां

1  
2  
3  
4  
5  
6

   
   
   
   
   
 

   
   
   
   
   
 

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प्रपत्र-8  
[नियम 10 का नियम (2) और नियम 11 के उप-नियम (1) का खंड (i) देखें] 
(रिकॉर्ड देखने की अनुमति के लिए आवेदन प्रपत्र) 
 

को 
 

 

अभिलेखागार महानिदेशक, 
भारत सरकार, 
नई दिल्ली-110001

महोदय, 
 

मैं इसके द्वारा भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार के अनुसंधान कक्ष में अभिलेखों के परामर्श के लिए एक शोध विद्वान के रूप में नामांकन के लिए आवेदन करता हूं। मैं लागू नियमों और शर्तों का पालन करने के लिए सहमत हूं और प्रकाशन के तुरंत बाद परामर्शित सामग्री के आधार पर अपने प्रत्येक कार्य की एक प्रति राष्ट्रीय अभिलेखागार में जमा करने का वचन देता हूं।

1. नाम, उपनाम सहित: श्री/श्रीमती/किमी/डॉ. __________________________

2. पिता/पति का नाम : ________________________

3. जन्म तिथि : ________________________

4. योग्यताएँ : ________________________

5. राष्ट्रीयता : ________________________

6. पेशा : ________________________

7. शोध का विषय : ________________________

8. विश्वविद्यालय/संस्थान* पंजीकृत: ________________________

9. वह अवधि जिसके लिए प्रवेश मांगा गया है : ________________________

10. हस्ताक्षर और तारीख : ________________________

11. पता (i) स्थानीय : ________________________

   
(ii) स्थायी : ________________________

देखे जाने वाले अभिलेखों का विवरण:

विभाग 
अवधि 
टिप्पणियां

1.  
 

2.  
 

3.  
 

4.  
 

* अनुसंधानविदों से अनुरोध है कि वे अपने विश्वविद्यालय/संस्थान/विभाग से अनुशंसा पत्र संलग्न करें। हालाँकि, विदेशी विद्वानों से अनुरोध है कि वे भारत में अपने देश के राजनयिक प्रतिनिधियों से मान्यता पत्र भी लाएँ।

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प्रपत्र-9  
[नियम 11 के उपनियम (1) का खंड (v) देखें] 
रिप्रोग्राफिक/ट्रांसक्रिप्शन सुविधाओं के लिए आवेदन

को 
 

 

अभिलेखागार महानिदेशक, 
भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार, 
नयी दिल्ली।

दिनांक चढ़ा हुआ :

महोदय, 
 

कृपया मुझे मेरे शोध/प्रकाशन/विश्वविद्यालय के लिए संलग्न सूची में दर्शाई गई सामग्री की माइक्रोफिल्म (एनएफजी/पीओएस) फोटो प्रतियां/ज़ेरॉक्स प्रतिलेख प्रदान करें। सामग्री ___________ के मंत्रालय(विभागों) से है। इसमें ___________ आइटम शामिल हैं और ___________ से ___________ तक की अवधि को कवर करता है।

1.  
मैं घोषणा करता हूं कि उपरोक्त सामग्री मेरे शोध/प्रकाशन/विश्वविद्यालय के लिए है।

2.  
मैं काम पूरा होने के समय प्रचलित दरों की अनुसूची के अनुसार शुल्क का भुगतान करने का वचन देता हूं। मैं समझता हूं और स्वीकार करता हूं कि जब आपूर्ति की जाती है तो अनुमानित लागत केवल अस्थायी होती है और दरों में भी बिना किसी सूचना के संशोधन किया जा सकता है।

3.  
आपूर्ति की गई फोटोकॉपी/प्रतिलेख महानिदेशक, अभिलेखागार की पूर्व अनुमति के बिना किसी अन्य व्यक्ति को बेची/स्थानांतरित नहीं की जाएंगी।

4.  
यदि सामग्री प्रकाशित की जाती है, तो उसे उचित रूप से स्वीकार किया जाएगा और कॉपीराइट के प्रावधानों, जहां लागू हो, का अनुपालन किया जाएगा।

5.  
मैं इसके द्वारा रु. की राशि जमा करता हूँ. अग्रिम के रूप में __________________________।

 

स्थायी पता 
(ब्लॉक अक्षरों में)

 

आपका विश्वासी,

 

हस्ताक्षर : 
बड़ा अक्षर में नाम) 
स्थानीय पता।

 

कार्यालय उपयोगार्थ

रुपये के लिए रसीद संख्या ___________ दिनांक ___________ के माध्यम से अग्रिम प्राप्त हुआ। ____________

सेवा शुल्क रु. हो गया है. ____________

रसीद संख्या ___________ दिनांक ___________ के माध्यम से शेष राशि रु. ____________

निम्नलिखित के अधीन फोटो कॉपी प्रतिलेखन के लिए मंजूरी दी गई:

(1) ___________________

   
   
अभिलेखाध्यक्ष के हस्ताक्षर

   
   
तारीख :

   
   
[फा. सा. 16-2/94-आर.एम कस्तूरी गुप्ता मेनन, संयुक्त सचिव